हंसुली: उत्तराखंड की विरासत को नई पहचान परंपरा, कला और संस्कृति का संगम है हंसुली, एक ऐसा आभूषण ब्रांड जो उत्तराखंड की पारंपरिक ज्वेलरी को वैश्विक पहचान दिला रहा है। देहरादून की गौरी द्वारा स्थापित यह ब्रांड केवल आभूषणों का व्यवसाय नहीं, बल्कि एक मिशन है—स्थानीय कारीगरों को समर्थन देने का और उत्तराखंड की पारंपरिक ज्वेलरी को फिर से लोकप्रिय बनाने का। गौरी का सपना: विरासत को संजोने का संकल्प गौरी, जो खुद उत्तराखंड की समृद्ध परंपरा और संस्कृति से गहराई से जुड़ी हैं, हमेशा से चाहती थीं कि उनके राज्य की अनूठी ज्वेलरी कला एक नई पहचान पाए। आधुनिक दौर में, जहां पारंपरिक गहने धीरे-धीरे पीछे छूट रहे थे, वहीं गौरी ने "हंसुली" के जरिए इस विरासत को फिर से जीवंत करने का बीड़ा उठाया। स्थानीय कारीगरों के लिए एक नया मंच उत्तराखंड के गांवों और पहाड़ों में सदियों से कुशल कारीगर अपनी अनूठी ज्वेलरी शिल्पकला को संजोए हुए हैं। लेकिन बदलते समय और बाजार की चुनौतियों के कारण, यह कला धीरे-धीरे विलुप्ति की ओर बढ़ रही थी। हंसुली इन कारीगरों के लिए एक नया मंच बना, जहाँ उनकी कारीगरी को सम्मान और नया बाजार मिला। अब ये कलाकार न केवल अपनी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि अपने हुनर से आजीविका भी कमा रहे हैं। परंपरा और आधुनिकता का संगम हंसुली न केवल पारंपरिक आभूषणों को संरक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें आधुनिक फैशन के साथ भी जोड़ रहा है। पारंपरिक पौंची, हंसुली, गुलुबंद, नथ, चंपाकली जैसे गहनों को नए डिजाइन और आधुनिक स्पर्श देकर, यह ब्रांड युवा पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़ रहा है। उत्तराखंड की ज्वेलरी को दिला रहा है वैश्विक पहचान आज हंसुली सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी अपनी पहचान बना रहा है। गौरी का यह प्रयास उत्तराखंड की ज्वेलरी कला को ग्लोबल मार्केट में एक अलग मुकाम तक पहुंचा रहा है। "हंसुली – जहां परंपरा और शिल्पकला का मेल, उत्तराखंड की पहचान का एक नया खेल!" 😊✨